ऐसी ग्रहदशा कराती है एक से अधिक विवाह……

ऐसी ग्रहदशा कराती है एक से अधिक विवाह…… दाम्पत्य जीवन में पड़ने वाले शुभ व अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली का सप्तम स्थान दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित फल देता है। सप्तम स्थान पर पडने वाला शुभ व अशुभ प्रभाव का मिला जुला रूप एक से अधिक शादी के योग बनाता है। बहु विवाह के योग कैसे बनते है और ग्रहों की वह कौन सी स्थिति है जिसके द्वारा यह जाना जाये की दो शादी क्यों होती है आइये जाने- दूसरे विवाह का बन सकता है योग – सप्तम स्थान पर यदि दो पापी ग्रहों का प्रभाव हो तथा सप्तमेष की दृष्टी सप्तम स्थान पर पड रही हो तो व्यक्ति का एक विवाह टूटने के बाद दूसरे विवाह का योग बनता है। इस योग में जहां सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह विवाह से दूर रखते है वहीं सप्तमेश का सप्तम स्थान पर प्रभाव विवाह का सुख बना देता है। प्रथम विवाह में आ सकती है दिक्कत – सप्तमेष यदि दूसरे, छठें या बारहवें स्थान पर स्थित हो तथा सप्तम स्थान पर कोई पापी ग्रह बुरा प्रभाव बना रहा हो तो प्रथम विवाह में दिक्कत आती है। सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह का प्रभाव विवाह के सुखों से हीन करता है। जब ...