वास्तु दोष के कारण होने वाले दुष्प्रभाव

आर्थिक समस्याएं – आर्थिक उन्नति न होना, धन का कहीं उलझ जाना, लाभों का देरी से मिलना, आय से अधिक व्यय होना, आवश्यकता होने पर धन की व्यवस्था ना हो पाना, धन का चोरी हो जाना आदि।
पारिवारिक समस्याएं – वैवाहिक संबंधों में विवाद, अलगाव, विवाह में विलम्ब, पारिवारिक शत्रुता हो जाना, पड़ोसियों से संबंध बिगड़ना, पारिवारिक सदस्यों से किसी भी कारण अलगाव, विश्वासघात आदि।
संतान संबंधी चिन्ताएं – संतान का न होना, देरी से होना, पुत्र या स्त्री संतान का न होना, संतान का गलत मार्ग पर चले जाना, संतान का गलत व्यवहार, संतान की शिक्षा व्यवस्था में कमियां रहना आदि।
व्यावसायिक समस्याएं – कैरियर के सही अवसर नहीं मिल पाना, मिले अवसरों का सही उपयोग नहीं कर पाना, व्यवसाय में लाभों का कम होना, साझेदारों से विवाद, व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्विता में पिछड़ना, नौकरी आदि में उन्नति व प्रोमोशन नहीं होना, हस्तान्तरण सही जगह नहीं होना, सरकारी विभागों में काम अटकना, महत्वाकांक्षाओं का पूरा नहीं हो पाना आदि।
स्वास्थ्य समस्याएं – भवन के मालिक और परिवार जनों की दुर्घटनाएं, गंभीर रोग, व्यसन होना, आपरेशन होना, मृत्यु आदि।
कानूनी विवाद, दुर्घटनाएं, आग, जल, वायु प्रकोप आदि से भय, राज्य दण्ड, सम्मान की हानि आदि भयंकर परिणाम देखने को मिलते हैं।

वास्तुदोषों के निराकरण के लिए करते हैं वास्तु संबंधी उपकरणों की स्थापना

वास्तु संबंधी दोषों के उपचार दोषों की प्रकृति पर और उससे होने वाले परिणामों की गंभीरता पर निर्भर होते हैं। हल्के वास्तु दोषों का उपचार कम प्रयासों से संभव हो जाता है, जबकि कई बार कमियां इतनी बड़ी हो जाती हैं कि उनके दुष्प्रभावों से मुक्ति के लिए बड़े बदलावों की आवश्यकता पड़ती है। वास्तु संबंधी उपचार कई प्रकार से किए जाते हैं। ये उपचार शास्त्रोक्त पद्धतियों के साथ साथ बदलते हुए परिवेश में

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