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दिसंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐसी ग्रहदशा कराती है एक से अधिक विवाह……

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ऐसी ग्रहदशा कराती है एक से अधिक विवाह…… दाम्पत्य जीवन  में पड़ने वाले शुभ व अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली  का सप्तम स्थान दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित फल देता है। सप्तम स्थान पर पडने वाला शुभ व अशुभ प्रभाव का मिला जुला रूप एक से अधिक शादी के योग बनाता है। बहु  विवाह के योग  कैसे बनते है और ग्रहों की वह कौन सी स्थिति है जिसके द्वारा यह जाना जाये की दो शादी क्यों होती है आइये जाने- दूसरे विवाह का बन सकता है योग – सप्तम स्थान पर यदि दो पापी ग्रहों का प्रभाव हो तथा सप्तमेष की दृष्टी सप्तम स्थान पर पड रही हो तो व्यक्ति का एक विवाह टूटने के बाद दूसरे विवाह का योग बनता है। इस योग में जहां सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह विवाह से दूर रखते है वहीं सप्तमेश का सप्तम स्थान पर प्रभाव विवाह का सुख बना देता है। प्रथम विवाह में आ सकती है दिक्कत – सप्तमेष यदि दूसरे, छठें या बारहवें स्थान पर स्थित हो तथा सप्तम स्थान पर कोई पापी ग्रह बुरा प्रभाव बना रहा हो तो प्रथम विवाह में दिक्कत आती है। सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह का प्रभाव विवाह के सुखों से हीन करता है। जब ...

नक्षत्र , नक्षत्र चरण ,और उनके फल

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नक्षत्र , नक्षत्र चरण ,और उनके फल नक्षत्र चरण फल : प्रत्येक नक्षत्र मे चार चरण होते है और एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। यह नवमांश जैसा ही है यानि इससे राशि के नौ वे भाग का फलित मिलता है। प्रत्येक चरण मे तीन ग्रह का प्रभाव होता है 1- राशि स्वामी, 2- नक्षत्र स्वामी, 3- चरण स्वामी। अश्वनी नक्षत्र चरण फल: प्रथम चरण : इसमे मंगल, केतु और मंगल का प्रभाव है। मेष 00 अंश से 03 अंश 20 कला। इसका स्वामी मंगल है। यह शारारिक क्रिया, साहस, प्रेरणा, प्रारम्भ का द्योतक है। जातक मध्यम कद, बकरे जैसा मुंह, छोटी नाक और भुजा, कर्कश आवाज, संकुचित नेत्र, कृश, धायल अथवा नष्ट अंग वाला होता है। इसके गुणदोष – शारारिक सक्रियता, साहस, प्रोत्साहन, आवेगी बली. भावनावश परिणाम की बिना चिंता कार्य है। जातक नृप सामान, निर्भीक, साहसी, अफवाहो के प्रति आकर्षित, मितव्ययी, वासनायुक्त, भावुक होता है। द्वितीय चरण : इसमे मंगल, केतु और शुक्र का प्रभाव है। मेष 03 अंश 20 कला से 06 अंश 40 कला। इसका स्वामी शुक्र है। यह अवबोध, अविष्कार, साकार कल्पना का द्योतक है। जातक श्याम वर्णी, चौड़े कन्धे, लम्बी नाक, लम्बी भुजा, छोटा लल...

आपका नक्षत्र देता है बीमारी का संकेत, पढ़ें सरल उपाय.

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आपका नक्षत्र देता है बीमारी का संकेत, पढ़ें सरल उपाय. आपका नक्षत्र बताएगा आपकी बीमारी का संकेत, पढ़ें उपाय भी...   हमारे ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के अनुसार रोगों का वर्णन किया गया है। व्यक्ति की कुंडली में नक्षत्र अनुसार रोगों का विवरण निम्नानुसार है। आपके कुंडली में नक्षत्र के अनुसार परिणाम आप देख सकते हैं : -   अश्विनी नक्षत्र :  जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि से कष्ट।   उपाय :  दान-पुण्य, दीन-दु:खियों की सेवा से लाभ होता है।   भरणी नक्षत्र :  जातक को शीत के कारण कंपन, ज्वर, देह पीड़ा से कष्ट, देह में दुर्बलता, आलस्य व कार्यक्षमता का अभाव। उपाय :  गरीबों की सेवा करें, लाभ होगा।   कृतिका नक्षत्र :  जातक आंखों संबंधित बीमारी, चक्कर आना, जलन, निद्रा भंग, गठिया घुटने का दर्द, हृदय रोग, घुस्सा आदि।   उपाय :  मंत्र जप, हवन से लाभ।   रोहिणी नक्षत्र :  ज्वर, सिर या बगल में दर्द, चित्त में अधीरता।   उपाय :  चिरचिटे की जड़ भुजा में बांधने से मन को शांति मिलती है।   मृगशिरा नक्षत्र :  जातक...

जन्मकुंडली के ये 10 घातक योग, तुरंत करें ये उपाय

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  जन्मकुंडली के ये 10 घातक योग, तुरंत करें ये उपाय जन्म कुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है। अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है। आओ जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग होते हैं और क्या है उनका निवारण?   1. चांडाल योग * कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है। * इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं।  इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें। माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं। * संभव 4. वैधव्य योग *वैधव्य योग बनने की कई स्थितियां हैं। वैधव्य योग का अर्थ है विधवा हो जाना। सप्तम भाव का स्वामी मंगल होने व शनि की तृतीय, सप्तम या दशम दृष्टि पड़ने से भी वैधव्य योग बनता है। सप्तमेश का संबंध शनि, मंगल से बनता हो व सप्तमेश निर्बल हो तो वैधव्य का योग बनता है। *...

वास्तु और शल्य दोष—

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वास्तु और शल्य दोष— वास्तु और शल्य दोष—- अक्सर सुनसान जगह देख कर या खाली प्लाट देख कर लोग उस में कूड़ा करकट फेकना शुरू कर देते है या कई बार लोग अपने पालतू जानवर या कोई ओर जानवर के मर जाने पर खाली प्लाट देख कर उसे दबा देते है,या इस्त्रियो का राज्स्वल का कपडा या अन्ये कोई रक्त-रंजित वस्त्र फेंक दिया जाता है|कई बार ऐसा भी होता है की हम किसी घर प्लाट को भरने के लिये उस में पुराना मलबा डलवा कर उस की नींव को ऊँचा उठा लेते है|उस पुराने मलबे में कई बार ऐसी चीजे आ जाती है जो हमें बड़ी परेशानी में डाल देती है| जिस जगह या प्लाट पर आप ने फैक्ट्री या मकान बनाना हो, अगर उस जमीन के भीतर कोई शल्य हो(हड्डी,अस्थि,लोहा किसी का अंग ,बाल, कोयला जली हुई लकडी केश, भसम, आदि)हो तो उ़से निकाल देना चाहिए,नहीं तो ग्रहस्वामी /घर के मालिक को बहुत भयंकर परिणाम भुगतने पड़ते है| कुछ शकुन द्वारा (स्य्म्प्तोम) के द्वारा भी प्लाट /घर के मालिक को शल्य दोष के बारे में पता चल सकता है की हमारे प्लाट में शल्य दोष है! देवी पुराण में कहा गया है कि गृह शुरू करते ही गृह स्वामी के किसी अंग में खुजली पैदा हो जाये तो समझ...

आज का राशिफल: Rashifal Today (22nd December 2019)

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आज का राशिफल: Rashifal Today (22nd December 2019) मेष-ससुराल पक्ष की ओर कोई सुख समाचार मिलने की संभावना इस समय सम्बन्धों के प्रति उदासीनता का भाव रखना हितकर नहीं है। आप-अपने पद,स्थिति प्राप्त जायदाद व सौदा आदि विषयों से सम्बन्धित बातों पर चिन्तित न हों क्योंकि समय आपके अनुकूल खड़ा है। ससुराल पक्ष की ओर कोई सुख समाचार मिलने की सम्भवना नजर आ रही है। महिलाओं को घूमने-फिरने का अवसर प्रदान होगा जिससे उनका मन प्रसन्नचित्त रहेगा। रोग से बचाव रखना आवश्यक है। वृष- महिलायें किसी के बहकावे में न आएं आपके जीवन में नयी उर्जा लेकर आयेगा। स्वंय अपने विवके व दिल की बातों को तवज्जों दें। इष्ट मित्रों सहचर्य का भाव बानायें रखें। नवयुक अपराधी प्रवृत्ति के लोगों से दूरी बनायें रखें अन्यथा याद रखना गेंहू के साथ घुन भी पिस जाते है। महिलायें किसी के बहकावे में न आयें अन्यथा आपका वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है। छात्र अपने करियर को लेकर सतर्क रहें। मिथुन- महिलायें अतीत को भूलकर वर्तमान के बारें में सोंचे राह चलते व्यक्ति के साथ तू-तू-मै न करें। किसी से व्यावसायिक अनुबन्ध करने से पूर्व उसको जांच-परख अव...

क्या होता है मांगलिक दोष, जानें वैवाहिक जीवन को कैसे करता है प्रभावित..

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क्या होता है मांगलिक दोष, जानें वैवाहिक जीवन को कैसे करता है प्रभावित... जनश्रुति के अनुसार मांगलिक दोष को दाम्पत्य सुख के लिए हानिकारक माना गया है। यह बात आंशिकरूपेण सत्य है किंतु पूर्णरूपेण नहीं। जैसा कि हम कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि दाम्पत्य सुख के प्राप्त होने या ना होने के लिए एकाधिक कारक उत्तरदायी होते हैं केवल मांगलिक दोष के जन्म पत्रिका में होने मात्र से ही दाम्पत्य सुख का अभाव कहना उचित नहीं है।    सर्वप्रथम मांगलिक दोष किसे कहते हैं इस बात पर हम पाठकों का ध्यान आकृष्ट करना चाहेंगे। सामान्यतः किसी भी जातक की जन्मपत्रिका में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में मंगल का स्थित होना मांगलिक दोष कहलाता है।   लग्ने व्यये पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे। कन्याभर्तुविनाशः स्याद्भर्तुभार्याविनाशनम्‌॥ कुछ विद्वान इस दोष को तीनों लग्न अर्थात्‌ लग्न के अतिरिक्त चंद्र लग्न, सूर्य लग्न एवं शुक्र से भी देखते हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि मांगलिक दोष वाले वर अथवा कन्या का विवाह किसी मांगलिक दोष वाले जातक से ही होना आवश्यक है।   ज्योतिष शास्त्र ...

21 दिसंबर कैसा रहेगा आप दिन

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मेष स्वास्थ्‍य सम्बन्धी समस्याएं अभी परेशान कर सकती हैं। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम रहेंगे। आत्‍मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे। धार्मिक कार्यों में व्‍यस्‍तता बढ़ सकती है। अनियोजित खर्चों में वृद्धि होगी। रहन-सहन कष्‍टमय हो सकता है। वृष धैर्यशीलता में कमी रहेगी। पारिवारिक जीवन कष्टमय रहेगा। चिकित्सीय खर्च अधिक रहेंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। वाणी में कठोरता का प्रभाव रहेगा। बातचीत में संतुलित रहें। कारोबार का विस्तार हो सकता है। भाइयों का सहयेाग मिलेगा। मिथुन मानसिक परेशानियां अभी रहेंगी। किसी अज्ञात भय से परेशान रहेंगे। परिवार की परेशानियां बढ़ सकती हैं।  मानसिक शांति तो रहेगी,  लेकिन स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी हो सकता है। दाम्पत्‍य सुख में वृद्धि होगी। माता-पिता का सानिध्य मिलेगा।  कर्क नौकरी में स्थान परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। अनियोजित खर्चों में वृद्धि होगी।अफसरों से सहयोग मिलेगा।  मन में निराशा एवं असंतोष के भाव रहेंगे। अपनी भावनाओं को वश में रखें। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्‍थान की यात्रा पर जा सकते  (...

9 ग्रहों के 9 मंत्रों से मिलेगा आपको वरदान, खराब ग्रह भी होंगे मजबूत

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अगर ग्रह मजबूत होंगे और ग्रहों में कोई दोष नहीं होगा तो जिंदगी में खुशियां ही खुशियां आ जाएंगी. लेकिन ग्रहों की कमजोर स्थिति या ग्रहों में दोष आपको परेशानी के भंवर में उलझा सकता है.  9 ग्रहों से मिलेगा वरदान जीवन में खुशियों की सौगात तभी मिलती है जब कुंडली के ग्रह अनुकूल होते हैं. अगर कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा और दिशा बेहतर हो तो यकीनन इसका सकारात्मक प्रभाव हमारी और आपकी दिनचर्या पर पड़ता है. ज्योतिष के जानकार तो यही मानते हैं कि अगर ग्रह मजबूत होंगे और ग्रहों में कोई दोष नहीं होगा तो जिंदगी में खुशियां ही खुशियां आ जाएंगी. लेकिन ग्रहों की कमजोर स्थिति या ग्रहों में दोष आपको परेशानी के भंवर में उलझा सकता है. अगर आपकी कुंडली में मौजूद किसी भी ग्रह में कोई दोष है या फिर कई ग्रह विशेष पीड़ा दे रहा है तो अब आपको घबराने या परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं 9 ग्रहों को मजबूत करने के कल्याणकारी मंत्र. आइए जानते हैं सबसे पहले सूर्य को मजबूत बनाने का मंत्र- सूर्य - यह ग्रहों का राजा और व्यक्ति की आत्मा है. - सूर्य की कमजोरी से अपयश , ह्रदय रोग,और हड्डियों की स...

कुंडली में छुपा है मृत्यु का रहस्य

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कुंडली में छुपा है मृत्यु का रहस्य पत्रिका से जानिए, क्या होगा रोग प्रत्येक कुंडली का विश्लेषण करके उसके रोग व उसकी मृत्यु को जान सकते हैं। रोग की परिभाषा के अनुसार तत्संबंधी भावों, उनके स्वामियों, लग्न व लग्नेश स्थिति और उस पर पापी ग्रहों की युति व उनकी दृष्टियों से उस रोग व उससे जातक की मृत्यु को जाना जा सकता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली को देखकर उस व्यक्ति के रोग एवं उसकी मृत्यु के बारे में जाना जा सकता है। यह भी बताया जा सकता है कि उसकी मृत्यु किस रोग से होगी। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक जन्मकुंडली में छठवाँ भाव रोग, आठवाँ भाव मृत्यु तथा बारहवाँ भाव शारीरिक व्यय व पीड़ा का माना जाता है। इन भावों के साथ ही इन भावों के स्वामी-ग्रहों की स्थितियों व उन पर पाप-ग्रहों की दृष्टियों व उनसे उनकी पुत्रियों आदि को भी देखना समीचीन होता है। यही नहीं, स्वयं लग्न और लग्नेश भी संपूर्ण शरीर तथा मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है। लग्न में बैठे ग्रह भी व्याधि के कारक होते हैं। लग्नेश की अनिष्ट भाव में स्थिति भी रोग को दर्शाती है। इस पर पाप-ग्रहों की दृष्टि भी इसी तथ्य को प्रकट करती ह...

आइये जाने तलाक के योग,कारण और उपचार—कुंडली और जीवनसाथी—

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आइये जाने तलाक के योग,कारण और उपचार— कुंडली और जीवनसाथी— युवक/वर की कुंडली— यदि वर की कुंडली के सप्तम भाव में वृषभ या तुला राशि होती है तो उसे सुंदर पत्नी मिलती है। यदि कन्या की कुंडली में चन्द्र से सप्तम स्थान पर शुभ ग्रह बुध, गुरु, शुक्र में से कोई भी हो तो उसका पति राज्य में उच्च पद प्राप्त करता है तथा धनवान होता है। जब सप्तमेश सौम्य ग्रह होता है तथा स्वग्रही होकर सप्तम भाव में ही उपस्थित होता है तो जातक को सुंदर, आकर्षक, प्रभामंडल से युक्त एवं सौभाग्यशाली पत्नी प्राप्त होती है। जब सप्तमेश सौम्य ग्रह होकर भाग्य भाव में उपस्थित होता है तो जातक को शीलयुक्त, रमणी एवं सुंदर पत्नी प्राप्त होती है तथा विवाह के पश्चात जातक का निश्चित भाग्योदय होता है। जब सप्तमेश एकादश भाव में उपस्थित हो तो जातक की पत्नी रूपवती, संस्कारयुक्त, मृदुभाषी व सुंदर होती है तथा विवाह के पश्चात जातक की आर्थिक आय में वृद्धि होती है या पत्नी के माध्यम से भी उसे आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि जातक की जन्मकुंडली के सप्तम भाव में वृषभ या तुला राशि होती है तो जातक को चतुर, मृदुभाषी, सुंदर, सुशिक्ष...